Friday 24 December 2010

उत्तर प्रदेश में ब्लाक प्रमुख चुनाव

जागरण ब्यूरो, लखनऊ जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की तरह से यूपी में क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानी ब्लाक प्रमुख चुनाव में भी सत्तारुढ़ दल समर्थित उम्मीदवारों के सामने विरोधी दलों के प्रत्याशी पस्त हो गए हैं। उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने के लिए हर संभव जतन किए जा रहे हैं। अनेक स्थानों पर स्थानीय प्रशासन और पुलिस भी सहयोग दे रही है। नतीजा यह है कि कुल 821 ब्लाकों में से करीब 308 पर ब्लाक प्रमुख निर्विरोध निर्वाचित हो गए। इनमें ज्यादातर बसपा विधायकों, मंत्रियों, सासंदों आदि के परिजन हैं। शेष ब्लाकों पर बुधवार को मतदान भी है और मतगणना भी। सत्ताधारी दल समर्थित दबंग उम्मीदवारों से प्रताडि़त हो रहे विरोधी प्रत्याशियों की ओर से की जा रही शिकायतों से आजिज आकर जहां चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाई है वहीं उच्च न्यायालय ने भी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि आयोग की मांग पर मतदान केंद्रों पर केंद्रीय व अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाए। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से भी कहा है कि वह प्रेक्षकों की नियुक्ति करे। चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद गैर बसपा दलों के सैकड़ों उम्मीदवार ब्लाक प्रमुख का चुनाव लड़ने में सफल नहीं हो सके, क्योंकि उन्हें नामांकन ही नहीं करने दिया गया। कई जगह बीडीसी सदस्यों का अपहरण भी किया गया। विरोधी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सत्ता समर्थित उम्मीदवारों ने हर किस्म के हथकंडे अपनाए हैं। शाहजहांपुर जिले के ददरौल ब्लाक में पिछड़ा वर्ग कल्याणमंत्री अवधेश वर्मा के समर्थकों ने सरेआम तीन लोगों को उस समय उठा लिया जब वे अपने नेता का नामांकन कराने जा रहे थे। आयोग ने यहां का चुनाव रोक दिया है। आयोग ने हरदोई और बलिया में मंडलायुक्तों की मौजूदगी में चुनाव कराने का निर्देश दिया है। सीतापुर में बसपा सांसद कैसर जहां व उनके विधायक पति जासमीर अंसारी के खिलाफ उम्मीदवार तथा मतदाताओं को धमकाने की शिकायत का संज्ञान में लेते हुए खैराबाद ब्लाक का चुनाव पर्यवेक्षक की मौजूदगी में पीएसी की सुरक्षा में कराने का आदेश दिया है। बुलंदशहर जिले के एक ब्लाक का चुनाव भी स्थगित कर दिया है। आयोग में करीब 278 शिकायतें दर्ज हुई हैं। आरोपियों में अधिकारी, विधायक व मंत्री भी शामिल हैं। जिलाधिकारियों की रपटों पर निर्भर आयोग की सख्ती हर कहीं काम नहीं आ रही है। उन्नाव के पुरवा ब्लाक में नामांकन पत्र भरने जा रहे गोवर्धन पटेल को परिजनों समेत पीटा गया। पुलिस ने मदद करने के बजाय उन्हें एक बसपा नेता के हवाले कर दिया। जब चुनाव आयोग से शिकायत हुई तो जिला प्रशासन ने यह विचित्र रिपोर्ट दी कि गोवर्धन को उन लोगों ने पीटा जो उसे उसकी मर्जी के खिलाफ जबरदस्ती चुनाव लड़ाना चाहते थे। यह दंबगई का ही असर है कि कई जिलों में ब्लाक प्रमुख चुनाव की नौबत नहीं आई। सहारनपुर की 11 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ। 10 सीटों पर सत्ता पक्ष के अलावा किसी अन्य ने पर्चा नहीं भरा। एक सीट बाकी थी, उस पर भी मंगलवार को नाम वापस ले लिया गया।

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