Friday 24 December 2010

राजा का गढ़ ध्वस्त करने में जुटी बसपा

स्वदेश कुमार, लखनऊ प्रदेश के पूर्व मंत्री व प्रतापगढ़ के कुंडा क्षेत्र के विधायक राजा रघुराज प्रताप सिंह फिर बसपा के निशाने पर हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बसपा ने रघुराज का तिलिस्म तो तोड़ा ही अब ब्लाक प्रमुख चुनाव में भी कब्जा जमा कर उसका इरादा राजा का गढ़ ध्वस्त करने का है। सूत्रों की मानें तो ब्लाक प्रमुख चुनाव में जीत से बसपा अगले विधानसभा चुनाव में संदेश देना चाहती है कि जो अपने इलाके में ब्लाक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं जिता सका, वह खुद क्या जीतेगा। बसपा शासनकाल में फूंक-फूंक कर कदम रख रहे रघुराज प्रताप सिंह की यह मजबूरी ही रही कि उन्हें अपने राजनीतिक वजूद बचाने के लिए ब्लाक प्रमुख जैसे चुनाव में मैदान-ए-जंग में निकलना पड़ा और बसपा ने दांव चल दिया। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार, बसपा सरकार ने रघुराज को जेल के सींखचों के पीछे पहुंचाने के बहाने विपक्ष को अपने हद में रहने की चेतावनी देने का भी काम किया है। वैसे सपा ने भी विरोध में प्रदेशव्यापी धरना प्रदर्शन कर यह जता दिया है कि वह डरने वाली नहीं है। दिलचस्प बात यह भी रही कि आमतौर पर बसपा सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली कांग्रेस ने स्थानीय समीकरण के चलते इस मामले में तटस्थ भाव दिखाना ही बेहतर समझा। रघुराज का जिला पंचायत की सत्ता पर 15 वर्षो से कब्जा था, इस बार बसपा तिलिस्म तोड़ अपना उम्मीदवार जिताने में सफल रही है। इसके लिए उसने उस कांग्रेस से भी जुगुलबंदी करने में कोई हिचक नहीं दिखाई, जिसके खिलाफ वह प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय राजनीति तक में आग उगलने का काम करती रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बसपा प्रत्याशी प्रमोद मौर्य ने राजा भैया खेमे के प्रत्याशी पर भारी जीत दर्जकर अध्यक्ष की कुर्सी हसिल की। सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह भी बसपा नेताओं के साथ पूरे समय मौजूद रही थीं। चार चुनाव (1993,1996, 2002 व 2007) में अपराजेय रहे रघुराज प्रताप 17 वर्ष से निर्दल विधायक हैं और तो और वह अपने खास अक्षय प्रताप सिंह को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की रत्ना सिंह से हुई हार के बाद विधानपरिषद में भेजने में सफल रहे। रघुराज प्रताप कुंडा से सटी बिहार विधानसभा सीट पर भी अपने आदमी को निर्दल विधायक बनवाते हैं। रघुराज के प्रभाव को देखकर सपा उनको साथ रखने में लालायित रहती है। मायावती ने बीते शासनकाल में न केवल रघुराज को बल्कि उनके पिता को भी जेल भेजा था। और तो और तत्कालीन सरकार ने उनके खिलाफ आतंकवादी निरोधक कानून पोटा के तहत भी कार्रवाई करने का काम किया था। मुलायम सिंह ने सत्ता में आने के बाद उनके ऊपर से पोटा हटा दिया था। क्षेत्र की राजनीति में पकड़ के चलते ही रघुराज प्रताप सिंह कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में कार्यक्रम क्रियान्वयन, राम प्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह के मंत्रिमंडल में खेल और पिछली बार मुलायम सिंह के मंत्रिमंडल में खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्री रह चुके हैं। ऐसे में बसपा की कोशिश उन्हें क्षेत्र में प्रभावहीन कर उनकी राजनीतिक ताकत समाप्त करने की है ताकि आने वाले समय में वह बसपा विरोधी पार्टियों को मजबूत करने का काम न कर सकें। रघुराज पर नहीं लगेगा गैंगस्टर ब्लाक प्रमुख पद के प्रत्याशी पर हमले के आरोप में गिरफ्तार कुंडा के निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह के खिलाफ फिलहाल कड़े कदम नहीं उठाए जाएंगे। उन पर गैंगस्टर एक्ट लगाने की संभावना को सरकार ने खारिज कर दिया। अपर महानिदेशक (कानून व्यवस्था) बृज लाल ने कहा कि रघुराज प्रताप के खिलाफ फिलहाल गैंगस्टर एक्ट नहीं लगाया जा रहा है। विधायक रघुराज प्रताप सिंह समेत 13 समर्थकों को पुलिस ने रविवार को बाबागंज क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष पद के बसपा प्रत्याशी मनोज शुक्ल पर हमले के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। सोमवार को पुलिस ने उन्हें रिमांड पर लिया। ब्लाक प्रमुख के चुनाव में भी जोर-जबरदस्ती कर रही बसपा लखनऊ : भाजपा ने ने बसपा पर ब्लाक प्रमुख पद के बाहुबलियों और माफियाओं के साथ पुलिस बल की मदद से प्रतिपक्षी दलों के उम्मीदवारों को नामांकन करने से रोक कर निर्विरोध चुनाव जीतने का आरोप लगाया है। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश प्रवक्ता हृदयनारायण दीक्षित ने निर्विरोध निर्वाचन को हास्यास्पद बताया। उन्होंने कहा कोई कितना ही लोकप्रिय क्यों न हो, उसका निर्विरोध निर्वाचन संभव नहीं। जनजागरूकता के चलते हरे सीट पर उम्मीदवार हैं लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस ने विपक्षी उम्मीदवारों को गिरफ्तार कर उन्हें नामांकन नहीं करने दे रही है। सत्तापक्ष के दबंगों ने पुलिस की उपस्थिति में मारपीट की, पुलिस व अराजक तत्वों ने मिलकर ब्लाक प्रमुख चुनाव में लोकतंत्र को लहुलूहान किया है। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी बसपाई गुंडागर्दी सरेआम हुई थी। ब्लाक प्रमुख के चुनाव में भी इसे दोहराया गया।

पंचायत चुनावों में बसपा ने किया लोकतंत्र को शर्मशार : विपक्ष

जागरण ब्यूरो, लखनऊ सपा कांग्रेस और भाजपा ने सत्तारुढ़ बहुजन समाज पार्टी पर प्रशासनिक आतंकवाद का आरोप लगाया है। विपक्षी दलों ने बसपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि उसने पंचायत अध्यक्ष चुनाव की तरह ब्लाक प्रमुख चुनाव में भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की धज्जियां उड़ा दी हैं। इससे लोकतंत्र शर्मशार हो गया। समाजवादी पार्टी ने आशंका जताई है कि बुधवार को ब्लाक प्रमुख चुनाव के लिए होने वाले मतदान में भी बसपा नेता, प्रशासन के सहयोग से बूथों पर कब्जा करेंगे। उसने निर्वाचन आयोग से मांग की है कि वह किसी भी तरह इस पर रोक लगाए। सपा प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने मंगलवार को यहां कहा कि मुख्यमंत्री मायावती के इशारे पर बसपा नेताओं ने चुनाव जीतने का घटिया तरीका अपना रखा है। प्रशासन उनके हाथों की कठपुतली बन कर रह गया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि ब्लाक प्रमुख चुनाव में बसपा का कई सीटों पर निर्विरोध चुनाव जीतना ही यह साबित करता है कि उसने दबंगई के बल पर प्रतिपक्षी उम्मीदवारों को नामांकन करने से ही वंचित कर दिया। उन्होंने कहा कोई कितना ही लोकप्रिय क्यों न हो, उसका निर्विरोध निर्वाचन संभव नहीं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि बसपा ने लोकतंत्र को लूटतंत्र में बदल दिया है। चाहे सरकारी संपत्ति का मामला हो या वोटों की, बसपा ने सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि ब्लाक प्रमुख के चुनाव में भी सत्ता की दबंगई के चलते नामांकन के दिन ही 821 ब्लाकों में 230 जगह निर्विरोध निर्वाचन हो गया। नामांकन वापसी के दिन भी तमाम क्षेत्रों में बसपा के नेताओं द्वारा प्रशासनिक आतंकवाद के जरिए विरोधियों की नाम वापसी कराई गई।

बसपा मंत्री, विधायक व सांसदों के परिजन बने

अवनीश त्यागी, लखनऊ यूपी के ब्लाक प्रमुख चुनाव में सत्तारुढ़ दल बसपा के मंत्री विधायक व सांसद समेत पार्टी नेताओं के परिजन निर्विरोध ब्लाक प्रमुख चुन लिए गए। इस बार भी बाजी असरदारों के ही हाथ हैं। चित्रकूट के कर्वी में ग्राम्य विकास मंत्री दद्दू प्रसाद की बहू रश्मि या अलीगढ़ में आरईएस राज्य मंत्री जयवीर सिंह के भतीजे उपेन्द्र सिंह टीटू, बस्ती जिले में बसपा विधायक जितेंद्र उफ नंदू चौधरी की भाभी पार्वती देवी हो या हरदोई में परती भूमि राज्य मंत्री रामपाल वर्मा के पुत्र निर्भय वर्मा, फर्रुखाबाद में बसपा विधायक ताहिर हुसैन सिद्दीकी का भतीजा राशिद जमाल अथवा मेरठ के दौराला में विधायक योगेश वर्मा का भाई राजन वर्मा, सिद्धार्थनगर में निवर्तमान बसपा सांसद मुहम्मद मुकीम के पुत्र जावेद मुकीम, रमाबाई नगर में पूर्व बसपा विधायक मिथलेश कटियार के भाई की पत्नी स्नेहलता, कानपुर में विधायक कमलेश दिवाकर की पत्नी निर्मला, बांदा में राज्य मंत्री अच्छेलाल का भतीजा मिश्रीलाल निषाद, सहारनपुर में राज्यमंत्री विनोद तेजियान की भाभी नीलम तेजियान, मथुरा में राज्य मंत्री लक्ष्मीनारायण का भतीजा वीरेन्द्र, माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र के दामाद सुधांशु मिश्र भदोही जिले के डीह ब्लाक में बिना मतदान निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख चुन लिए गए। हाथरस में ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय के भाई रामेश्र्वर उपाध्याय को यह सौभाग्य दूसरी बार मिल रहा है। माफिया बृजेश सिंह के साले बलवंत गाजीपुर के जमनिया ब्लाक तथा उनके भतीजे की पत्‍‌नी इंदु सिंह वाराणसी के सेवापुरी ब्लाक से निर्विरोध ब्लाक प्रमुख चुन लिए गए हैं। बरेली के बसपा विधायक वीरेंद्र सिंह दोहरे फायदे में रहे। अपने भाई की पत्नी नीरू पटेल को पहले जिला पंचायत अध्यक्ष बनवा चुके है, अब भाई देवेंद्र सिंह को निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख बनवा दिया। बिना लड़े प्रमुखी पाने को दल-बदल से भी गुरेज नहीं रहा।

उत्तर प्रदेश में ब्लाक प्रमुख चुनाव

जागरण ब्यूरो, लखनऊ जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की तरह से यूपी में क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानी ब्लाक प्रमुख चुनाव में भी सत्तारुढ़ दल समर्थित उम्मीदवारों के सामने विरोधी दलों के प्रत्याशी पस्त हो गए हैं। उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने के लिए हर संभव जतन किए जा रहे हैं। अनेक स्थानों पर स्थानीय प्रशासन और पुलिस भी सहयोग दे रही है। नतीजा यह है कि कुल 821 ब्लाकों में से करीब 308 पर ब्लाक प्रमुख निर्विरोध निर्वाचित हो गए। इनमें ज्यादातर बसपा विधायकों, मंत्रियों, सासंदों आदि के परिजन हैं। शेष ब्लाकों पर बुधवार को मतदान भी है और मतगणना भी। सत्ताधारी दल समर्थित दबंग उम्मीदवारों से प्रताडि़त हो रहे विरोधी प्रत्याशियों की ओर से की जा रही शिकायतों से आजिज आकर जहां चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाई है वहीं उच्च न्यायालय ने भी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि आयोग की मांग पर मतदान केंद्रों पर केंद्रीय व अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाए। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से भी कहा है कि वह प्रेक्षकों की नियुक्ति करे। चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद गैर बसपा दलों के सैकड़ों उम्मीदवार ब्लाक प्रमुख का चुनाव लड़ने में सफल नहीं हो सके, क्योंकि उन्हें नामांकन ही नहीं करने दिया गया। कई जगह बीडीसी सदस्यों का अपहरण भी किया गया। विरोधी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सत्ता समर्थित उम्मीदवारों ने हर किस्म के हथकंडे अपनाए हैं। शाहजहांपुर जिले के ददरौल ब्लाक में पिछड़ा वर्ग कल्याणमंत्री अवधेश वर्मा के समर्थकों ने सरेआम तीन लोगों को उस समय उठा लिया जब वे अपने नेता का नामांकन कराने जा रहे थे। आयोग ने यहां का चुनाव रोक दिया है। आयोग ने हरदोई और बलिया में मंडलायुक्तों की मौजूदगी में चुनाव कराने का निर्देश दिया है। सीतापुर में बसपा सांसद कैसर जहां व उनके विधायक पति जासमीर अंसारी के खिलाफ उम्मीदवार तथा मतदाताओं को धमकाने की शिकायत का संज्ञान में लेते हुए खैराबाद ब्लाक का चुनाव पर्यवेक्षक की मौजूदगी में पीएसी की सुरक्षा में कराने का आदेश दिया है। बुलंदशहर जिले के एक ब्लाक का चुनाव भी स्थगित कर दिया है। आयोग में करीब 278 शिकायतें दर्ज हुई हैं। आरोपियों में अधिकारी, विधायक व मंत्री भी शामिल हैं। जिलाधिकारियों की रपटों पर निर्भर आयोग की सख्ती हर कहीं काम नहीं आ रही है। उन्नाव के पुरवा ब्लाक में नामांकन पत्र भरने जा रहे गोवर्धन पटेल को परिजनों समेत पीटा गया। पुलिस ने मदद करने के बजाय उन्हें एक बसपा नेता के हवाले कर दिया। जब चुनाव आयोग से शिकायत हुई तो जिला प्रशासन ने यह विचित्र रिपोर्ट दी कि गोवर्धन को उन लोगों ने पीटा जो उसे उसकी मर्जी के खिलाफ जबरदस्ती चुनाव लड़ाना चाहते थे। यह दंबगई का ही असर है कि कई जिलों में ब्लाक प्रमुख चुनाव की नौबत नहीं आई। सहारनपुर की 11 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ। 10 सीटों पर सत्ता पक्ष के अलावा किसी अन्य ने पर्चा नहीं भरा। एक सीट बाकी थी, उस पर भी मंगलवार को नाम वापस ले लिया गया।